देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों के लिए नया नियम लागू कर दिया है। अगर आप भी एसबीआई में खाता रखते हैं और ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के लिए आईएमपीएस का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके काम की है। बैंक ने अब इंस्टेंट मनी ट्रांसफर सर्विस यानी आईएमपीएस पर शुल्क वसूलने की घोषणा कर दी है पहले जहां ग्राहक बिना किसी चार्ज के ऑनलाइन पैसा भेज सकते थे अब 25 हजार रुपये से ऊपर की रकम भेजने पर मामूली शुल्क देना होगा। बैंक ने साफ कहा है कि ये शुल्क नाम मात्र के होंगे लेकिन इनका असर आम ग्राहकों की जेब पर जरूर महसूस होगा।
अब कितनी रकम पर देना होगा चार्ज
एसबीआई की नई गाइडलाइन के अनुसार, अगर कोई ग्राहक 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का ट्रांसफर करता है तो उस पर दो रुपये का चार्ज लगेगा। वहीं एक लाख से दो लाख रुपये के बीच की रकम ट्रांसफर करने पर छह रुपये और दो लाख से पांच लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर दस रुपये का चार्ज देना होगा। इन सभी चार्ज पर जीएसटी अलग से देना होगा बैंक ने बताया कि जो लोग वेतन खाता यानी सैलरी पैकेज खाते के धारक हैं, उन्हें इन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा। ऐसे ग्राहकों को पहले की तरह पूरी छूट दी जाएगी। इसके अलावा सरकारी विभागों, स्वायत्त संस्थानों और गोल्ड, डायमंड, प्लेटिनम श्रेणी के कॉर्पोरेट खातों को भी इन चार्ज से छूट दी गई है।
कब से लागू होंगे नए नियम
एसबीआई ने साफ किया है कि ये नए शुल्क 15 अगस्त 2025 से लागू हो चुके हैं। जबकि कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए संशोधित चार्ज 8 सितंबर 2025 से लागू किए जाएंगे। बैंक का कहना है कि ये कदम डिजिटल बैंकिंग को और संतुलित बनाने के लिए उठाया गया है ताकि बैंकिंग सेवाओं का बोझ सभी ग्राहकों के बीच समान रूप से बंट सके।
विशेषज्ञों की राय
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बदलाव बैंकों के संचालन खर्च को नियंत्रित करने के लिए किए जाते हैं। ऑनलाइन लेनदेन बढ़ने से सर्वर और प्रोसेसिंग लागत भी बढ़ती है, इसलिए बैंक इन खर्चों को कवर करने के लिए छोटे चार्ज लागू करते हैं। हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि आम लोगों के लिए डिजिटल सुविधा सस्ती और आसान रहनी चाहिए।